भारतीय ज्‍योतिष के इस परम्‍परागत प्रयोग पर मैं निरंतर कार्यरत हूं आशा है आप भी इससे लाभ प्राप्‍त करेंगे

Saturday, May 24, 2008

जानकारियां मिलती हैं रूद्राक्ष जांच से :-

(१) बिना कुण्डली के, बिना हस्त रेखा देखे बिना ,उस व्यक्ति के ग्रहों की स्थिति क्या है तथा उसके कितने ग्रह उसके लिए अनुकूल या प्रतिकूल चल रहे है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार उसके लिए कौन सा रत्न धारण करना अनुकूल होगा।

(२) ज्यादतर लोंगों का उपचार सिर्फ एक ही रत्न धारण करने से हो जाता है। कुछ ही लोंगों को दो रत्न या एक रत्न तथा एक धातु के धारण किये जाने से उसे पूर्ण रूप से राहत मिल जाती है।

(३) इस जांच से ग्रहों की स्थितिनुसार जिससे उसे लाभ मिले ऐसा जरूरी नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति को उमदा (उच्च कोटि) किस्म का ही रत्न धारण करने से लाभ मिले, कुछ लोंगों को निम्न कोटि का रत्न, तो कुछ लोंगों को मध्यम कोटि का रत्न, तो कुछ लोंगों को घाटिया किस्म के रत्न धारण करने से लाभ मिलता है। रत्न की कौन सी किस्म से अधिक लाभ मिलेगा यह भी देखा जाता है। चाहे वो रत्न हो या उपरत्न हो या कोई धातु हो या हल्दी की गांठ ही क्यों न हो ।

(४) इस जांच से यह भी देखा जाता है कि कितने कम से कम वजन या ज्यादा से ज्यादा वजन का रत्न धारण करने से पूर्ण लाभ मिल सकेगा।

(५) इस जांच से यह भी देखा जाता है कि धारक द्वारा धारण किये गये रत्न, उपरत्न,धातु, ताबीज उसके लिए प्रतिकूल है। धारण किये रत्न, धातु या ताबीज जांच में प्रतिकूल पाये जाते हैं, और उन्हें उतारने के बाद ग्रहों की स्थिति अनुकूल पायी जाती है तो उन्हें सिर्फ उतार दिये जाने से लाभ मिलने लगता है।

(६) इस जांच से यह भी देखा जाता है कि, सिर्फ रत्नों से ही लाभ मिलेगा या उपरत्नों से भी उतना ही लाभ मिल सकेगा या नहीं। इस बात का अवलोकन धारक व्यक्ति के स्तर तथा ग्रहों की स्थितिनुसार तय किया जाता है।

(७) इस जांच से धारक द्वारा धारण किये गये ताबिज ,जो कि तांत्रिकों द्वारा दिये जाते हैं, वे धारक के लिए प्रतिकूल है, की नही, जानकारी होती है।

(८) इस जांच से जैसे कुछ व्यक्तियों पर बाहरी हवा का प्रकोप हो या तांत्रिक क्रियाओं से प्रताड़ित हो ,की भी जानकारी मिलती है, प्रताड़ित व्यक्ति का भी रत्न धारण से निवारण संभव कुछ हद तक होता है।

(९) इस जांच द्वारा, जिस व्यक्ति को मानसिक परेशानी है जिसे डिपरेशन या हाइपरटेंशन कहा जा सकता है, का भी निवारण बहुत हद तक रत्न धारण किये जाने से होता है।

पीड़ित ग्रहों से उत्पन्न अनेकों समस्या के लिए ,इस जांच के आधार पर धारण किये गये रत्न से लाभान्वित होते, अनेकों लोगो को देखा गया है। यह जांच पीड़ित व्यक्ति की उपस्थिति बिना संभव नहीं है।

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