दिव्य रूद्राक्ष जांच की विशेषता
इस जांच का आधार ज्योतिषिय है :- किसी भी रत्न धारण जातक को रत्न धारण कराये जाने के समय इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि, धारण कराने वाले रत्न से धारण को किसी एक क्षेत्र में तो लाभ भरपूर मिल रहा है और दूसरे अन्य कई प्रकार से हानि हो रही है ऐसा ना हो इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए ही रत्न धारण कराया जाता है। धारक को संपूर्ण क्षेत्र में लाभ पूरा मिले किसी भी क्षेत्र में धारण किये गये रत्न का कोई साइड इफेक्ट नहीं हो। इस जांच विधि से यह देखना आसान होता है। सभी ग्रहों का संतुलन धारक जारक के अनुसार सेट किया जाता है। इस प्रकार की सैटिंग से ९८: पाजेटिव (सकारात्मक) प्रभाव त्वरित (शीघ्र) मिलने लगता है। उक्त प्रभाव धारक जातक के लिए काफी संतोश जनक होता है। धारक जातक जिस ग्रूप का होता है, उसके ग्रहों को उसी ग्रूप के रत्नों से सैट किया जाता है। इस जांच के द्वारा जातक धारक के ग्रहों को कितने कम से कम वनज के रत्नों से ताकतवर बनाया जा सकता है जिससे धारक जातक को पूर्ण लाभ मिले सके ,यह देख कर ही रत्नों का वजन तय किया जाता है।
निर्धारित वजन से अधिक वजन के रत्न धारण से या तो लाभ शुन्य हो सकता है, या फिर कम हो सकता है,या फिर कुछ केश में हल्का सा नुकसान होना भी देखा गया है।
सबसे विशेष बात तो यह है कि जिन लोंगो की कुण्डली नहीं होंती ,कुण्डली नहीं होने के कारण यह सही पता नहीं चल पाता है कि , उक्त व्यक्ति का जन्म किस नक्षत्र में हुआ है और अभी कौन सी महादशा में किसका अंतर प्रत्यंतर दशा चल रही है। इन सभी का आभाव होते हुए भी रूद्राक्ष जांच से जिस रत्न की जानकारी प्राप्त होती है उस रत्न के धारण किये जाने वाले जातकों में लगभग ९८: लोंगों को लाभान्वित होते देखा गया है।
इस जांच से धारण करने वाले व्यक्ति को क्या पहनना चाहिये अथवा क्या नहीं पहनना चाहिये जिससे उसे लाभ होगा की जानकारी भी प्राप्त होती है।
इस जांच से व्यक्ति की अनेकों समस्या का समाधान रत्न ,उपरत्न तथा धातु के धारण से संभव है जैसे :- पति पत्नी विवाद ,मानसिक तनाव ,कार्य में असफल होना ,पढ़ाई में मन नहीं लगना ,दुर्भाग्य ,तांत्रिक क्रियाओं से पीड़ित, विवाह में रूकावट ,संतान में रूकावट ,पुरूषार्थ में कमी ,ग्रहों की गड़बड़ी से उत्पन्न बीमारी ,आदि अनेको समस्या का समाधान होता है ।
इस जांच से हर प्रकार के रत्नों का पावर भी देखा जा सकता है, किसी भी रत्न या उपरान्त में शक्ति है या नहीं यह आसानी से देखा जा सकता है। रत्न उपरन्त या धातु के धारण से सभी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए यह सर्वोच्च विधि है। इस विधि से धारण किये गये रत्नों का प्रभाव भी शीघ्र मिलने लगता है। अनेकों को परिणाम तो आश्चर्यजनक मिलने है।
इस जांच प्रयोग में प्रयास जारी है कि ,धारक व्यक्ति की शतप्रतिशत समस्या का समाधान यथाशीघ्र हो, इंतजार है उस दिन का जिस दिन ये शोध कार्य पूर्ण एवं सफल होगा।
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