भारतीय ज्‍योतिष के इस परम्‍परागत प्रयोग पर मैं निरंतर कार्यरत हूं आशा है आप भी इससे लाभ प्राप्‍त करेंगे

Monday, April 7, 2008

तबीज नही बर्बादी का बीज

ऐसा भी होता है जिसे ''दिव्य रूद्राक्ष`` द्वारा जांच करके देखा जा सकता है तांत्रिकों द्वारा दिये गये ताबिज,नीबू,चांवल,भभूत आदि कोई भी सामान की जांच करके यह देखा जा सकता है कि उक्त सामान धारण या ग्रहण कर्ता के लिए अनुकूल है या प्रतिकूल है। जैसा कि नीचे लिखे धारक के अनुसार सत्य घटना :-

मैं श्रीमती पूजा तिवारी ,श्री मुकेश तिवारी ,बोरसी,दुर्ग ।
मैं मंगलसूत्र के अलावा सोना,चांदी के गहने ही पहनती थी ,किसी भी प्रकार का रत्न या नग नहीं पहनती थी। करीब आठ माह पूर्व मेरे पिता ने मुझे एक ताबीज पहनने के लिए दिये थे,उक्त ताबिज एवं अन्य मैं अपना सुरक्षा कवच समझते हुए धारण कर ली थी। धीरे-धीरे मेरा पति के साथ झगड़ा होने लगा। शुरूआत में हल्के रूप से शुरू हुई। झगड़ा बढ़ते बढ़ते थाने तक पहुंच गया था। शारिरिक रूप से भी अस्वस्थ रहने लगी। मैं अपने पति को ही अपना शुभ चिन्तक नहीं समझती थी । शरीर मै भी भारी दर्द लगता था। बुद्धि तो ऐसी हो गई थी कि मैं कुछ अच्छा सोच नहीं सकती थी।

मेरे साथ मेरा पुत्र करीब चार माह का वह भी बीमार रहने लगा था। एक दिन पति के निवेदन पर दिनांक २.३.०८ को मैं नरेन्द्र कुमार अग्रवाल के पास अपने पति के साथ रूद्राक्ष द्वारा जांच करके मुझे बताया कि आपका केतु ,मंगल नीच का ,बुध,सूर्य एवं गुरू कुल छ: ग्रह एंटी है। फिर मेरे ताबिज को उतराकर रूद्राक्ष से जांच किये तो सभी ग्रहों को अनुकूल होना बताये। मुझे ताबिज उतारने का परामर्श दिया गया और मै ताबिज उतार कर आधा घंटा वहीं बैठे रही, इतनी ही देर में मुझे काफी हल्का महसूस होने लगा। मेरे पति ने ताबिज को ठंडा कर दिया। ताबिज उतारने के बाद दिन प्रति दिन मुझे काफी अच्छा लगने लगा।

इसके बाद दिनांक ४.३.०८को मैं दो नारियल जिसे मुझे उसी बैगा ने दिया था उसे भी मैं रूद्राक्ष द्वारा जांच कराने लाई थी। जांच उपरान्त नौ के नौ ग्रह प्रतिकूल पाये गये। दो मिनट हाथ में पकड़ने से ही मेरा शरीर भारी होने लगा और आंखे चढ़ने लगी। नारियल को भी तलाब में प्रवाहित कर दिया गया। उसी बैगा द्वारा काले और पीले रंग का चांवल तथा भभूत भी दी गई थी, को भी जांच कराने लाई। काले रंग का चावल का चार पांच दाना जब भी खाती थी खाने के बाद बुद्धि शुन्य अर्थात् कुछ भी सोच नही पाती थी। इसे खाने के बाद पति के प्रति क्रोध उत्पन्न होता था, तथा नफरत होने लगती थी। सिंदूर लगा चावाल के चार दाने फेकने के लिए दिया था, इसे फेकने के बाद (मेरे मन में) पति से मेरी लड़ाई होने लगती थी तथा पति को जान से मारने का भी ख्याल मन में आता था, पति के प्रति मेरे मन में कई प्रकार की दुर्भावना आने लगती थी। भष्म (भभूति) को जब भी खाती थी तो मेरा शरीर शिथिल अधमरा जैसा सुस्त हो जाता था और मैं मनहीमन पति के प्रति क्रोधित होते हुए नफ्रत करती थी। दिव्य रूद्राक्ष द्वारा जांच करके श्री अग्रवाल जी द्वारा बताये गये फलों को जो उपर लिखे हैं उसे मैं स्वीकार करते हुए पुष्टि करते हुए पुष्टि करती हूं।

श्री अग्रवाल जी के परामर्शनुसार इन सभी सामानों को तालाब में प्रवाहित किया गया। मुझे भी जांच उपरांत ऐसा विश्वास हो गया कि ये सभी सामान जब से मेरे पास आया है तब से उपरोक्तानुसार बताई गई घटनाएं मेरे साथ घटित होती रहती थी की वजहा जांच उपरांत समझ में आया। उपरोक्त सभी बातों से मैं समहत हूं। सभी सामान को विसर्जित करने के एक सप्ताह के अंदर मेरे पति के साथ संबंध काफी मधुर हो गये एक दूसरे के प्रति चाहत भी काफी बढ़ गयी जिसकी मैने कभी कल्पना भी नहीं की थी। समस्त परिवर्तन आश्चर्य जनक था। अत: मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि श्री अग्रवालजी को भगवान इसी प्रकार सेवा कार्य करने की शक्ति बरकरार रखें।

श्रीमती पूजा तिवारी ,मुकेश तिवारी मोब.नं.:-९३००६०२९१४ दिनांक १४.०३.०८

1 comment:

Anonymous said...

Kya Hai Yah????? Jadu mantar to aap Bhi kar rahe Hai.