समानता में भिन्नता का ज्ञान रूद्राक्ष द्वारा हो जाता है। जैसे:- हमारे दुर्ग भिलाई में कुछ ऐसे केस भी आये हैं जिनका जन्म स्थान एक जन्म समय दो चार मिनट आगे पीछे है तथा तिथि एक है। जिनके माता पिता एक है अर्थात् जुड़वां बच्चे है, इन जुड़वां बच्चों की जन्म कुण्डली भी एक जैसी है, दोनो की राशि ,नक्षत्र, चरण तथा बारह भावों में ग्रहों की स्थिति एक ही है। दोनों की भुग्त एवं भोग्य महा दशा भी एक है ग्रहों के अंश भी एक है। जब कि प्रत्यक्ष रूप से देखने पर दोनों के स्वभाव , आचार विचार , रूचि ,तथा समस्या भिन्न-भिन्न है। रूद्राक्ष द्वारा जांच के आधार पर रत्न की आवश्यकता भी दोनों की भिन्न-भिन्न निकलती है, दोनों बच्चों को रूद्राक्ष जांच परिणाम के आधार पर रत्न धारण कराये जाने पर दोनों को अनुकूल प्रभाव प्राप्त होते है। यदि कुण्डली में दोनों बच्चों का बोलता नाम अलग-अलग लिखा गया है, नाम पर ध्यान नही दिया जावे तो फलारेस कहने वाला कहेगा कि ये दोनों कुण्डली एक ही व्यक्ति की है। इस प्रकार के व्यक्तियों की दुविधा का समाधान रूद्राक्ष द्वारा जांच प्रयोग से रत्न धारण कराने पर आसानी से किया जा सकता है। इस जांच से जिनकी कुण्डली नहीं है ,उनकी भी समस्या का समाधान आसानी से किया जाना संभव हो पाता है। अनेकों ऐसे व्यक्ति है, जिनकी कुण्डली नहीं होती, और उनकी समस्या का निदान इस जांच द्वारा संभव हो सका है। इसी लिए कहते है -
पत्थर न समझें,रत्नों से होता है चमत्कार ,
रूद्राक्ष दिखाये ग्रहों का आंखों देखा हाल,
जीवन बदले, करे हर सपना साकार।
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