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Thursday, May 5, 2011

भ्रमीत होने से बचें

मैं अपने पत्नि के स्वास्थ्य के संबंध में विगत कुछ वर्षाें से काफी परेषान था। मैं उन्हें मानसिक रोग डॉक्टर,पंडितों एवं तांत्रिकों को भी दिखाया था। उन्होंने जैसा करने को कहा वैसा मैेंने सभी कुछ किया, परन्तु उन्हें कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ। उनकी तकलीफ कुछ बाधा होने जैसे लगती थी। तांत्रिकों ने भी इस प्रकार की बाधा होने की बात बता दी थी। परन्तु अचानक 2001 में श्री अग्रवालजी से हुई। पत्नि की समस्या को बताते हुये जांच करवाया, मैंने यह भी बताया कि इन्हें बच्चों की परीक्षा के बाद बालाजी ले जाने का कार्यक्रम निष्चित हुआ। परन्तु अग्रवालजी ने जांच उपरान्त बताया कि इन्हें बाहरी बाधा नहीं है,इन्हें ग्रहों की तकलीफ है। इस पर पत्नि को गोमेद एवं पन्ना की अंगूठी पहनाई गई। 24 घंटे के भीतर पत्नि की परेषानी में सुधार का एहसास हुआ एवं एक सप्ताह में परिस्थिति लगभग काफी सुधर गयी। इसके पश्चात् मैं लगातार समय-समय पर इनसे जांच करवाता रहा और अग्रवालजी के निर्देषानुसार रत्न धारण करते रहा। इससे मेरी पत्नि परेषानियों से मुक्त होते हुए राहत महसूस कर रही है, यदि अग्रवालजी की सलाह नहीं मानते तो बालाजी जाने की और बाकी समस्या उत्पन्न होने के बाद अग्रवालजी ने ही बताया। उक्त परेषानियों से निजात दिलाने में अग्रवालजी का काफी सहयोग रहा, उनका मैं आभारी रहंुगा। दि. 5.6.2010

जी.के.सिंघानिया
श्रम निरीक्षक,
नन्दा नगर इन्दौर
मो.नं. 09826851651

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