आदरणीय अग्रवालजी के पास लगभग -१ माह पूर्व आया था। परेशानी भी व्यापारिक और व्यवहारिक दोनों ही तरह की। व्यापार में सपोर्ट नहीं मिल रहा था और घरेलू माहोल अशांत था। सच कहूं तो आत्महत्या को मन बनने लगा। पुराने गढ़े मुर्दे उखड़ने लगे थे। लोग यह जानते हुये भी कि कुछ भी नहीं है, परेशान करते थे। आज लगभग-१ माह से आ.अग्रवालजी से परामर्श लेनेके बाद सुधार होने लगा। व्यापार में लोगों का सपोर्ट मिलने लगा है। पारिवारिक स्थिति में भी शांति एवं सुधार है। अन्दर से थोड़ी भी महसूस कर रहा हूं।आ.अग्रवालजी हृद्य से बारम्बार आपको सादर धन्यवाद। आपको सादर नमन करता हूं।
दिनांक ८.६.०८
रानीदास भुतड़ा
३/६ रिषभनगर दुर्ग
९३०२८३४०२८
३२०२५२४
Monday, September 28, 2009
आत्महत्या का इरादा बदलकर जीने की तमन्ना बढ़ाता है।
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