भारतीय ज्‍योतिष के इस परम्‍परागत प्रयोग पर मैं निरंतर कार्यरत हूं आशा है आप भी इससे लाभ प्राप्‍त करेंगे

Monday, September 28, 2009

उचित रत्न धारण से पढ़ाई में मन लगता है

मेरा नाम शौरभ है। रत्न धारण करने से पहले मुझे बहुत सी तकलीफें थी, जिनमें से सबसे बड़ी थी मेरी पढ़ाई में मन न लगना और हर रात सपने आना, इन्हीं तकलीफों के कारण मेरी मां ने मुझे रत्न धारण करने के लिए कहा, फिर एक हप्ते के बाद ही हम लोग भिलाई में एक ज्योतिष के पास गये, जिन्होंने मुझे पुखराज पहनने की सलाह दी, परन्तु जब मेरा और मां का मन बदला और हम यहां रत्न धारण में आए तो यहां के ज्योतिष के अनुसार ''पुखराज मेरे लिए हानिकारक साबित हो सकता था और उनकी सलाह के अनुसार मैंने मोती रत्न धारण किया। जिससे मुझे दूसरे ही दिन से बहुत आराम मिला और मेरी कई तकलीफें जैसे हाथों से पसीना निकलना, पढ़ाई में मन न लगना, हर रात सपने आना आदि तकलीफों से छुटकारा प्राप्त हुआ, जिससे मेरा जीवन अब सुख से व्यतीत हो रहा है। इस आभार के लिए ज्यातिष नरेन्द्र अग्रवाल अंकलजी को अपने पूरे जीवन में कभी नहीं भूल पाऊॅंगा।

दिनांक २६.४.२००८
शौरभ बारसागड़े
ए-५८ के सामने,
कर्मचारी नगर,दुर्ग

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