Sunday, August 17, 2008
ताबिज भी निष्क्रीय करते हैं रत्नों के प्रभाव को
ताबिज भी सोच समक्ष कर विश्वनीय व्यक्ति के परामर्श से धारण करना चाहिए। जनरल लोग सुरक्षा कवच के इरादे से ताबिज धारण कर लेतें हैं और धारण उपरान्त उसकी प्रतिक्रिया पर ध्यान नहीं देते जब धीरे-धीरे कुछ तकलीफ होती है, चाहे वो किसी भी प्रकार की हों, होने लगती है तो वे अपने मन में सोचते हैं कि मैंने ताबिज पहन रखा है मेरी रक्षा अवश्य होगी, जबकि तकलीफ का दाता ताबिज ही रहता है। इसका मतलब ये भी नहीं है कि सभी ताबिज से नुकसान होता है और वे खतरनाक होते हैं। दोनों प्रकार की स्थिति रहती है। कुछ ताबिज तो इतने प्रभावकारी होते हैं, कि व्यक्ति का ग्रहों के कारण उत्पन्न तकलीफ को दूर करने के लिए धारण कराये गये उचित एवं अनुकूल रत्न के प्रभाव को निष्क्रीय करते हैं। इसी स्थिति में ताबिज उतारने के बाद एक ही रात में दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है तथा रत्न का अनुकूल प्रभाव महसूस होने लगता है। ऐसा दिव्य रूद्राक्ष जांच से अनेकों व्यक्ति में देखा जा चुका है।
जैसे दस वर्ष के एक विद्यार्थी का ही उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जांच कराने आया तब लोहे का कड़ा हाथ में,दो ताबिज गले में,एक ताबें का रिंग हाथ में धारण किया था, जिसे रूद्राक्ष जांच में प्रतिकूल पाया गया उसे उतारकर ओनेक्स धारण करने को कहा गया। लड़के की समस्या थी कि उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था तथा घर वालों पर बहुत गुस्सा करता था।
ओनेक्स धारण करने के बाद बाकी सब उतार दिया था, दो ताबिज में से एक ताबिज को ओनेक्स रिंग के साथ धारण कर लिया था।....... हुआ ये कि उसका क्रोध और बढ़ गया तथा किसी भी स्थिति में सुधार नहीं आया। एक सप्ताह बाद जब वह दुबारा आया तब फिर से जांच की गई और ताबिज उतार दिया गया... तब दूसरे दिन उसके घर से सूचना मिली कि अब ठीक लगने लगा है।
कहने का तात्पर्य है कि ताबिज हो या रत्न कुछ भी धारण करना हो तो विद्ववानों के परामर्श से ही करना चाहिये, अपने मन से या नीम-हकीमों के कहने से नहीं करना चाहिये।
जैसे दस वर्ष के एक विद्यार्थी का ही उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जांच कराने आया तब लोहे का कड़ा हाथ में,दो ताबिज गले में,एक ताबें का रिंग हाथ में धारण किया था, जिसे रूद्राक्ष जांच में प्रतिकूल पाया गया उसे उतारकर ओनेक्स धारण करने को कहा गया। लड़के की समस्या थी कि उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था तथा घर वालों पर बहुत गुस्सा करता था।
ओनेक्स धारण करने के बाद बाकी सब उतार दिया था, दो ताबिज में से एक ताबिज को ओनेक्स रिंग के साथ धारण कर लिया था।....... हुआ ये कि उसका क्रोध और बढ़ गया तथा किसी भी स्थिति में सुधार नहीं आया। एक सप्ताह बाद जब वह दुबारा आया तब फिर से जांच की गई और ताबिज उतार दिया गया... तब दूसरे दिन उसके घर से सूचना मिली कि अब ठीक लगने लगा है।
कहने का तात्पर्य है कि ताबिज हो या रत्न कुछ भी धारण करना हो तो विद्ववानों के परामर्श से ही करना चाहिये, अपने मन से या नीम-हकीमों के कहने से नहीं करना चाहिये।
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