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Monday, September 28, 2009

तलाक केश विड्रा होते हैं

मैं विनोद तिवारी भिलाई से, श्री नरेन्द्र अग्रवालजी की तारीफ सुनकर दिनांक २८.११.०८को रूद्राक्ष द्वारा जांच कराने आया था। उस समय मैं टोपाज,नाल रिंग तथा वृषभ राशि यंत्र धारण किया हुआ था। इन दिनों मेरा पत्नि के साथ कोर्ट में तलाक का मुकदमा केश चल रहा था तथा मैं बेरोजगार भी था। किसी भी काम में हाथ डालने पर मुझे नुकसान ही होता था।जांच उपरान्त श्री अग्रवालजी ने पूर्व में धारण किये गये सभी रत्न को निकलवा दिया तथा एक नग जिसे ए।डी. कहते है उसे नरेन्द्र बाबुजी ने चांदी के अंगुठी में धारण करवाया। ये अंगुठी मुझे मात्र चार सौ में पड़ी उसी दिन मैं शाम को मैं अपनी पत्नि श्रीमती कन्चन तिवारी को भी अग्रवालजी के पास ले गया। मेरी पत्नि जांचके पूर्व गोमेद,ओनेक्स,नाल रिंग,मोती का बाला,मेटल की चुड़ी पहने हुये थी। जिन्हें उतारकर एक छोटा सा पुखराज की अगुंठी धारण करवाये। दिनांक २९.११.०८ की रात पत्नि द्वारा अंगुठी धारण की गई। सुबह ४:०० बजे हम दोनों उठ जाते हैं, यह प्रात:काल की बेला चमत्कारी थी। १३ वर्षों में पत्नि ने मुझे पहलीबार ४:३३ बजे गुड मार्निंग कही। इसी समय से हम दोनों के संबंध होते गये। दिनांक ३०.१२.०८ को कोट मे पेशी थी। इसमें पत्नि ने केश वापस लेकर प्रकरण समाप्त करा दिया। इसी बीच मुझे अच्छी सेलरीयुक्त नौकरी मिल गई और हम बाल बच्चों सहित पूर्ण सुखी हैं।

कंचन तिवारी
दिनांक १६.१.०९
विनोद तिवारी
स्ट्रीट-३३,ब्लॉक-३,
क्वा.एम,से.-६,भिलाई




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